कालिका प्रसाद सेमवाल रूद्रप्रयाग उत्तराखंड सच्चा मानव

🥀शुभ प्रभात🥀
***************
 सच्चा मानव कहलाता है
********************
जो जग का संताप मिटाने को,
अपने सुख को ठुकराता है,
वही मानव इस वसुधा पर 
सच्चा मानव कहलाता है।


मिल जाते है जब भी दीन क़हीं,
बन जाता है उनका  बन्धु वहीं।
हंस हंस कर जो आघात सहे,
संघर्षों में भी सौम्य रहे।


जो जीवन में विष पीकर,
पीयूष धरा पर बरसाता है।
वह मानव इस वसुधा पर,
सच्चा मानव कहलाता है।
*********
कालिका प्रसाद सेमवाल
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...