यशवंत"यश"सूर्यवंशी 🌷       भिलाई दुर्ग छग दोहा

🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
      भिलाई दुर्ग छग



छत्तीसगढ़ी दोहा



आनी-बानी खायके,मेला यश सकलाय।
दाँत झरे हे ढोकरा,ठाण चना पगुराय।। 


 


दिल मा दिल के मेल नहि,मेला हे इंसान ।
भीड़ भरे यश पोठ कन,हाबे  सब अनजान ।।



🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी 🌷
      भिलाई दुर्ग छग


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