अम्बरीष अम्बर

'वहाँ कीजिये कैद'


जितने बैठे बाग में, हो करके मुस्तैद।
आठ फरवरी को उन्हें, वहाँ कीजिये कैद।
वहाँ कीजिये कैद, न हो अब कोई माफ़ी
पड़ न सकेगा वोट, सजा होगी यह काफी।
मौज कर रहे लोग, वहाँ पर जाने कितने।
अभी पुलिस को भेज, घेर लें बैठे जितने।


-- 'अम्बर'


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