अवनीश त्रिवेदी "अभय"

एक वियोग शृंगार सवैया


फागुन   रंग  चढ़ो  सब  पे चहुँओर  बसंती समीर सुहाती।
कंत बिना हिय चैन नही अखियाँ अँसुयन से रोज नहाती।
कोयल  कूक  लगै  प्यारी मन भीतर विरह अनल दहाती।
बीते दिन रैन प्रिय सुधि में सब लाज तजी दीवानी कहती।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


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