बदले नहीं व्यवहार अपना

*बदले नहीं व्यवहार अपना*
*।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।*


किताब हो जाये पुरानी पर
अल्फ़ाज़  नहीं  बदलते  हैं।


चाहते जो  दिल से सदा पर
लिहाज़  नहीं    बदलते  हैं।।


बदलते  नहीं   वह देख कर
कभी    फितरत ज़माने की।


वक्त  की   तेज    रफ़्तार  में 
अपनाअंदाज़ नहीं बदलते हैं।।
*रचयिता।।।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।बरेली।।।।।।। ।।*
*मोब   9897071046  ।।।*
*8218685464  ।।।।।।।।।*


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...