डा.नीलम

*मैं बावरी हो गई*
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सारी बातें खत्म हुईं
जब मेरी धड़कन
तेरी धड़कन हुई,


लबों पे थिरकती 
आँखों में तैरती ही
रह गयी
तुझसे कुछ 
कहने की चाहत,
लब मेरे ,तेरे लबों से
जब छुए


थिर हो गये
ख्वाब सारे
कदम लड़खड़ाए मेरे
इक सुरुर-सा
रुह पर छाने लगा
जबसे मेरी साँसे
तेरी साँसों में गुम हुई।


मैं बावरी हो गई
ओढ़ चुनरिया
तेरे नाम की।


     डा.नीलम


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