देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी" चलो मितवा..........

.- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


चलो मितवा..........


चलो मितवा , कहीं  दूर चलें।
सब छोड़कर, कहीं दूर चलें।।


अपने  सभी  हो  गए बेगाने ;
इन्हें छोड़कर ,कहीं दूर चलें।।


अब बेगाने  को बनाएं अपने;
अपने मुड़कर,कहीं दूर चलें।।


जिन्हें अपना  हमदर्द  समझा;
वो गए मुकर , कहीं दूर चलें।।


मर जाएंगे,दगाबाजी न करेंगे;
ऐसे छोड़कर , कहीं दूर चलें।।


देश के  गद्दारों से  रहें  सतर्क ;
गद्दार छोड़कर,कहीं दूर चलें।।


अपना वजूद न मिटे"आनंद" ;
वजूद रखकर ,कहीं दूर चलें।।


- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...