डॉ जितेन्द्र ग़ाज़ीपुरी

लहू का रंग सिर्फ़ लाल होता है
इसलिए
चाहे कोई भी नस्ल हो
कोई भी जाति हो
कोई भी मज़हब हो
इसका बहना
जीवन से ऊर्जा का क्षय हो जाना है
जीवन को संचित करना है
तो लहूलुहान न करें
मानवता का जनपथ
डॉ जितेन्द्र ग़ाज़ीपुरी


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