एस के  कपूर श्री* *हंस।बरेली

*क्या बनते जा रहे हैं हम*
*मुक्तक*


गमों में रोना ही ओ सुखों
की चाह चाहते हैं।


आह की   बात  नहीं  बस
हम वाह चाहते हैं।।


परवाह  नहीं   हमें  किसी
जीवन   मूल्य  की।


जाने हम चलना  कौन सी
राह    चाहते    हैं।।


*रचयिता।एस के  कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो।        9897071046
             8218685464


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