एस के कपूर श्री हंस* *बरेली*

*रिश्ते और दोस्ती(हाइकु)*


नज़र फेर
वक्त वक्त की बात
ये रिश्ते ढेर


दिल हो साफ
रिश्ते टिकते तभी
गलती माफ


दोस्त का घर
कभी  दूर  नहीं ये
मिलन कर


मदद करें
जबानी जमा खर्च
ये रिश्ते हरें


मिलते रहें
रिश्तों बात जरूरी
निभते रहें


मित्र से आस
दोस्ती का खाद पानी
यह विश्वास


मन ईमान
गर साफ है तेरा
रिश्ते तमाम


मेरा तुम्हारा
रिश्ता चलेगा तभी
बने सहारा


दूर या पास
फर्क नहीं रिश्तों में
बात ये खास


*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली*


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...