एस के कपूर* *श्री हंस।बरेली

*विविध हाइकु।।।।।।।*


वंश बढ़ना
पुत्र नहीं पुत्री भी
नाम करना


वीरान दिल
अवसाद का घर
सबसे मिल


कर आबाद
नया करके दिखा
रखेंगें याद


नारी की लज्जा
उसका     आभूषण
नारी की सज्जा


बेह्तरीन
समोसा अच्छा लगे
ये नमकीन


जय जवान
भारत का नारा ये
जय किसान


एक दुकान
कठिन परिश्रम
हैं सौ सामान


*रचयिता।एस के कपूर*
*श्री हंस।बरेली।*
मो    9897071046
        8218685464


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...