मासूम मोडासवी

दिल में मचलती चाहको क्या कहुं भला
उनकी  बदलती राह को क्या कहुं भला


हंसते  हुवे  लगायेंगे  अपने  गले  हमें
लेकिन सीमटती बांह को क्या कहुं भला


बढती  रही  तमन्नाऐं  वस्लो  करार  की
बे  रब्त  इस  निगाहको  क्या कहुं भला


कुरबत की हसरतों में  तन्हाइयां  मिली
हाले  दिले  तबाह को  क्या  कहुं भला


मासूम फिराक सहेते रहे अपनी जानपे
उनकी अधुरी पनाह को क्या कहुं भला


                         मासूम मोडासवी


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