नमस्ते जयपुर से- डॉ निशा माथुर

बासंती रंग है, बासंती मौसम और बसंत का चढ़ा खुमार।
ऋतुराज बसंत ने वैलंटाइन के नाम पर कैसा चढ़ाया बुखार।
हर कोई टेडी वेडी,चॉकलेट, और गिफ्ट को लिए घूम रहा।
कोई सामने वाली को स्टाइल मार रहा कोई अपनी वाली को ढूंढ रहा।
कोई अपने ही घर में चोरी चोरी चुपके से घूम रहा।
कोई अम्मा बापू के सामने खुद की नजरें चुरा रहा।
कोई नयनों की चितवन चला रहा तो कोई व्हाट्स एप पे लगा हुआ।
कोई हाथ मे  नकली लाल दिल लिए बगीचे में महबूबा को मना रहा।
कोई गुलाब की एक एक पत्ती संग आने न आने की मना रहा।
तो कोई मन ही मन अपनी वैलंटाइन देवी को मना रहा।
..........................
हा हा हा, बस इस ड्रामे की ज्यादा पोल पट्टी नहीं खोलूंगी।
क्योंकि एक साहित्यकारा हूँ,इस नौटंकी पे कुछ न कुछ तो बोलूंगी।


आप सभी का आज का दिन आप सभी के हिसाब से आपके अनुकूल हो इस शुभकामनाओं के साथ🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐🍫🍫🍫🍫🌹🌹🌹🌹
नमस्ते जयपुर से- डॉ निशा माथुर🙏😃👌


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...