निधि मद्धेशिया कानपुर

देश


थाह नहीं पा सकता चिड़ा 
पैठ गयी कितनी गन्दगी
सागर के पानी में है।
घोंसला चिड़ियों का अब
बाजों की निगरानी में है।
मंच से कह दी जाए कितनी 
अच्छी बातें, विष घुला है
दूध में, पानी में है।
गाते जो गाथा,शौर्य 
इतिहास का 
उन्हें ही भा रही चित्कार
जो नर-नारी में है।


निधि मद्धेशिया
कानपुर


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