निशा"अतुल्य"

निशा"अतुल्य"
देहरादून
हाइकु
11/ 2 /2020


प्रेम चिंतन
तू संसार से मुक्त
ये विचरण।


आनन्द है क्या
समझ,सबको बता
मन का पता।


कर्म का पथ
विलक्षण है सोच
रहे समर्थ।


अच्छा है क्या
सिर्फ सोचना तेरा
सब है मेरा।


रहता भ्रम
नश्वर मिथ्या जग
चलों तो सँग।


पथ कठिन
नही कोई मुश्किल
करो आसान


दृढ़ निश्चय
मोह माया का त्याग
सबके सँग


उसका ध्यान
वैतरणी हो पार
करो उद्धार


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...