सलाह
जग में,अनमोल बनना है तो
गुरु के शरण में,जाना ही पड़ेगा
पद धन बल,काम न आयेगी
विद्यार्थी बनकर रहना ही पड़ेगा
ढाई अक्षर का,शब्द प्रेम है
मानव जीवन का है,अनमोल रतन
सदाचार ही, वो सीढ़ी है
जो व्यक्ति को, बनाता है अमर
जग में अनमोल, बनना है तो
गुरु के शरण में,जाना ही पड़ेगा
पद धन बल,काम न आयेगी
विद्यार्थी बनकर,रहना ही पड़ेगा
चाहे कथा बन,चाहे कहानी बन
चाहे ज्ञानी बन,चाहे विज्ञानी बन
चाहे हिन्दू बन,चाहे मुस्लिम बन
चाहे गरीबों का,राशन कार्ड बन
जग में अनमोल बनना है तो
गुरु के शरण में,जाना ही पड़ेगा
पद धन बल,काम न आयेगी
विद्यार्थी बनकर,रहना ही पड़ेगा
अनेक जातियों की,फूलों से
पुष्पित है,जग की बगिया सारी
सभी जातियों का,तू सम्मान कर
वीर शहीदों की,इतिहास पढ़कर
कोई भूल न पाये,ऐसा नेक काम कर
जग में अनमोल,बनना है तो
गुरु के शरण में,जाना ही पड़ेगा
पद धन बल,काम न आयेगी
विद्यार्थी बनकर,रहना ही पड़ेगा
मत सोच की तेरा,
सपना क्यों पूरा नहीं होता
हिम्मत वालो का इरादा
कभी अधूरा नहीं होता
जिस इंसान के कर्म
अच्छे होते है
उसके जीवन में
कभी अंधेरा नहीं होता
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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