प्रखर दीक्षित

*फुसकार जरुरी दूषण को..*


जब राजनीति का ओछापन, सारी सीमाएं पार करे।
जब धन बल तन बल दंभ बैर, सज्जनता का अपकार करे।।
तब नहीं नम्रता व्यवहृत हो, फुसकार जरूरी दूषण को,
चाणक्य नीति का  ताप प्रबल, परिणति को खुल साकार करे ।।


*प्रखर दीक्षित*


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