प्रतिभा प्रसाद कुमकुम

(849)              प्रतिभा प्रभाती


नहीं चाहिए प्यार किसी का ।
यह धोखा और फरेब है ।


मन के गलियारे में राम बसा हो ।
मन मंदिर में पूजा अर्चन हो ।


मात पिता की सेवा करना ।
यहीं मंदिर गुरुद्वारा है ।


प्रात: प्रभात में प्रतिभा प्रभाती ।
सभी को नमन और वंदन है ।


अपना कर्म और धर्म करना है ।
मर्म मर्मग्य पकड़ाते हैं ।


दिल किसी का कभी न दुखाना ।
यही प्रथम सी पूजा है ।।



🌹 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम
      दिनांक  10.2.2020.....


______________________________________


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...