राजेंद्र रायपुरी

😄  - फिर वही गंदी सी झाड़ू -  😄


झाड़ू फिर से आ रही, सुना यही है यार।


चुनकर  सारे  आ रहे, जितने थे बटमार।


जितने थे बटमार, न उनकी हुई  सफाई।


तभी रहे  हैं  बाँट, चौक में  खड़े मिठाई।


हुआ वही फिर यार, हुए नहिं दूर लफाड़ू।


फिर से लगे न हाथ,  वही गंदी सी झाड़ू।


               ।।राजेंद्र रायपुरी।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...