रतन राठौड़ मालवीय नगर, जयपुर।

:: अहसास ::
क्यों लगता है,
कभी-कभी...
कोई मुझे चाहता है,
कोई मुझ से,
प्यार करता है...
कोई मुझे अपना-सा
समझता है...
क्यों कोयल कूकी
दिल की...
क्यों बढ़ी धड़कन
दिल की...
न जाने क्यों
अहसास हुआ...
न जाने क्यों
आभास हुआ...
तुम हो
अगर कहीं...
तो आओ न
पल दो पल के लिए
पास पास
तेरे वज़ूद के लिये।


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