संदीप कुमार विश्नोई दुतारांवाली अबोहर पंजाब चतुष्पदी पुष्प खिले नव कुंजन में मकरंद समीर निहार चली। 

 


संदीप कुमार विश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब
चतुष्पदी


पुष्प खिले नव कुंजन में मकरंद समीर निहार चली। 


मंजुल कोमल सी दुबली यह झूम रही कचनार कली।


कोकिल बोल रही वन में ऋतुराज पधार रहे धरती-


भृंग के दल घूम रहे अटवी छुप देख रही उनको तितली। 


स्वरचित
संदीप कुमार विश्नोई
दुतारांवाली अबोहर पंजाब


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