संजय जैन(मुम्बई)

*कलम का कमाल*
विधा : गीत


लिखता में आ रहा,
गीत मिलन के में।
कलम मेरी रुकती नही,
लिखने को नए गीत।
क्या क्या में लिख चुका,
मुझको ही नही पता।
और कब तक लिखना है,
ये भी नही पता।
लिखता में आ रहा.....।।


कभी लिखा श्रृंगार पर।
कभी लिखा इतिहास पर।
और कभी लिख दिया, 
 आधुनिक समाज पर।
फिर भी आया नही, 
सुधार लोगो की सोच में।।
लिखता में आ रहा...।।


लिखते लिखते थक गये, 
सोच बदलने वाली बाते।
फिर नही बदले लोगो के विचार।
इसे ज्यादा क्या कर सकता, एक रचनाकार।।
 लिखता हूँ सही बात,
अपने गीतों में...
अपने गीतों में......।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन(मुम्बई)
10/02/2020


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