सत्यप्रकाश पाण्डेय

रोम रोम में देव बसे दिव्य देह को नमन करूँ।
मैं बनकर के गोपालाक धेनु तेरा वरण करूँ।।


तुम माता सुख की दाता तेरे अनन्त उपकार।
देव मनुज और यति सती करते है तुमसे प्यार।।


न जाने कितनी पोषकता तेरे दूध में भरी हुई।
तेरे दही मख्खन घृत से मिले है ऊर्जा नई नई।।


अमृतमय पंचगव्य अवर्चनीय गुणों की खान।
तुमसे ही गौ माता यहां थी मानव की पहचान।।


जो करेगा पालन पोषण होगा कृष्णा का मीत।
घेरेंगे न दुःख दरिद्रता वह जग को लेगा जीत।।


गोपालक भगवान की जय🙏🙏🙏🙏🙏🌸🌸🌸🌸🌸


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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