सत्यप्रकाश पाण्डेय अक्षत है न सुमन है न पूजा की थाली हैफ प

सत्यप्रकाश पाण्डेय


अक्षत है न सुमन है न पूजा की थाली है
कुमकुम है न केशर ये हाथ भी खाली हैं


नहीं दीपक न स्नेह नहीं कोई मंत्र मैं जानूँ
न अर्चन विधि कोई तुम्हें कैसे मैं पहचानूँ


करूँ अभिषेक मैं कैसे तुम्हें कैसे मनाऊँ
न ज्ञान न बुद्धि कैसे गुण तुम्हारे मैं गाऊं


है भावनाओं का जल उससे स्नान कराऊँ
करूँ श्रद्धा सुमन अर्पित और गान मैं गाऊं


तुम ठाकुर हो मेरे ठकुरानी वृजकिशोरी है
नहीं कोई मेरा श्री कृष्ण और राधे मोरी हैं।


युगलछवि को नमन💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...