सोनू कुमार जैन गजल

तुम्हे चाहता हूँ, तुम्हे चाहना है,
कोई और सपना नहीं पालना है।


तुम्हे जानता हूँ, तुम्हे मानता हूँ,
मुझे और कुछ भी नहीं जानना है।


तेरी जीत पक्की है इस बार यारा,
तेरा मुझसे ही आमना-सामना है।


ज़रा मेरी दुश्वारियों को तो समझो,
मुझे अपने हाथों को ख़ुद बाँधना है।


मुझे तुमने 'सोनू' भुलाया है लेकिन,
मेरे दिल को केवल तेरी कामना है।


✍ सोनू कुमार जैन


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