सुधा मोदी तरू

हिमालय
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गीत
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सामने तन के हर पल खड़ी हो गयी।
ये दुल्हन हिमशिखर से बड़ी हो गयी।
देके अपना सजन,करके माटी नमन
बन सुमन हिन्द की मंजरी हो गयी।


वेदना की धवल बिजलियाँ छा रही।
पर सघन बादलों से किरण आ रही।
शिव की गंग बनी जलझड़ी हो गयी।
ये दुल्हन हिमशिखर से बड़ी हो गयी।


सरहदों पे तिरंगा जो लहरायेगा।
 सत्यघोष हिमालय भी दोहरायेगा।
भारती के लिये  खुश  घड़ी हो गयी।
ये दुल्हन हिमशिखर से बड़ी हो गयी।
               सुधा मोदी तरू


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