सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
      *"सुख और शांति"*
"कोई नहीं चाहता साथी,
जीवन में-
अपने अशांति।
न ही चाहत कोई कभी,
जीवन में अपनें-
आये दु:ख-दर्द।
सभी की चाहत यही साथी,
जीवन में हो-
सुख और शांति।
-फिर भी,
क्यों -दु:खी होता ये मन,
क्यों-जीवन में रहती-
अशांति।
जब तक जीवन मे साथी अपने,
सुख-दु:ख में होगा नहीं समभाव-
कैसे-मिलेगी शांति?
जहाँ अपनत्व का जीवन में,
होगा मान-सम्मान-
वही होगी सुख और शांति।
कोई नहीं चाहता साथी,
जीवन में -
अपने अशांति।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः           सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः         15-02-2020


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