सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
    *" बेटियाँ"*
"बेटियाँ तो जीवन में साथी,
प्रभु का दिया हुआ -वरदान।
बेटी ही जीवन में बनती,
घर परिवार का सम्मान।।
माँ -बहन-रूप साथी,
पूजी जाती हैं संतान।
पत्नि रूप में पा कर साथी,
मिटता जीवन का अज्ञान।।
बेटियाँ ही बनाती साथी,
नये नये कीर्तिमान।
यहाँ फिर उपजा नही साथी,
कभी बेटी में अभिमान।।
देती सुख ही सुख जीवन में,
बेटी-बेटा एक समान।
बेटियाँ तो जीवन में  साथी,
प्रभु का दिया हुआ-वरदान।।"
           सुनील कुमार गुप्ता


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