सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
      *"यादें"*
"कदमो की आहट से फिर,
जिन्हे पहचान जाते हैं।
जीवन पथ पर संग चले जो,
कब -उन्हें भूला पाते है?
खट्टी-मीठी यादों संग जो,
जीवन को लुभाते हैं।
संग रहे न रहे वो तो फिर,
सपनो में बस जाते है।।
 माने न जिनको अपना,
वो अपने बन जाते है।
चाही-अनचाही बाते वो,
सपनो में कह जाते है।।"


सुनील कुमार गुप्ता


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