सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
         *"साथी"*
"अपने लिए जीती ये दुनियाँ,
अपनों के लिए जिए - तो जाने।
बेगानों की इस दुनियाँ में फिर,
अपनों को पहचाने तो माने।।
साथी साथी कहती है-दुनियाँ,
साथी जो मिल पाए तो जाने।
सुख में सभी साथी साथी,
दु:ख में साथ निभाए तो माने।।
जीवन संगनी जो साथी जग में,
पग पग संग निभाए तो जाने। 
सुख में हर पल हँसाएं साथी,
दु:ख में भी साथ निभाएं तो माने।।
   सुनील कुमार गुप्ता


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