मेरी बीटिया
**********
तितली जैसी चंचल है
जुगनू जैसी उजियारी
मेरे घर में है नन्ही सी एक बेटी प्यारी प्यारी।
सारे घर पे नजर है उसकी
धयान में रखती हरकत सारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यार प्यारी।
ऑफिस से जब घर में आँऊ
करती शिकायत सबकी भारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
उसका खिलता चेहरा देखकर
छू हो जाती थकान सारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
खिलखिला कर हँसती मुझे बुलाती
उसकी हंसी के आगे फीकी खुशियां सारी।
मेरे घर में है नन्ही सी एक बेटी प्यारी प्यारी।
मेरे घर की है वो रौनक
उससे खुशहाल गृहस्थी हमारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
जब वो रूठे ऐसा लगता
रुठ गई है दुनिया सारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।
मेरे लिए वो खुदा की नेमत
वो ही कायनात हमारी
मेरे घर में है नन्ही सी
एक बेटी प्यारी प्यारी।।
***********
🌷सुनीला🌷
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
लेबल
- अवधी संसार
- आशुकवि नीरज अवस्थी जी
- कविता
- कहानी
- काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार
- काव्य रंगोली डिजटल पीडीएफ pdf संसार
- काव्य रंगोली प्रतियोगिताएं
- गज़ल
- ग़जल
- गीत
- ज्योतिष विज्ञान
- दयानन्द त्रिपाठी
- दयानन्द त्रिपाठी दया
- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
- धर्म एवम अध्यात्म
- धर्म एवम आध्यात्म
- पर्व एवं त्योहार
- वीडियो
- समाचार news
- साहित्य संसार
सुनीला गुरुग्राम हरियाणा
Featured Post
गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी के दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें