विजयी नहीं होने दूँगा  विडंबना तो देखो ईश्वर!

 


डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून, उत्तराखंड 


विजयी नहीं होने दूँगा 



विडंबना
तो देखो ईश्वर!
दोनों का भाग्य 
एक सा लिखा तुमने 
मुझे अपंग बना
पहले पिता फिर 
माँ छीन ली 
इस मासूम को भी 
अनाथ कर डाला,
पर सुनो!
मैं तुम्हें 
विजयी नहीं होने दूँगा...!
हम अनाथ अब 
एक-दूसरे का साथ बनेंगे 
अपने सुख-दुख 
मिल कर जियेंगे,
मनुष्यों की भीड़ में 
इस साथ से बढ़ कर 
विश्वसनीय नहीं 
कोई दूसरा अब हमारे लिए.....!!
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