*~~~~~सुप्रभातम्~~~~~*
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*घनाक्षरी छंद*
नित नित राम नाम जपा कर आठो याम|
लोभ मोह मद काम मन से विसारिये||
भक्ति भाव हिय भर दीन हीन सेवा कर|
मानवीय धर्म जन जन में पसारिये||
कर्म को ही पूजा जान कहते सभी सुजान|
पथ प्रभु राम चल जीवन निखारिये||
देश प्रेम प्यार रहे ज्ञान रस धार बहे|
देश हित धन मन तन भी निसारिये||
चंचल पाण्डेय "चरित्र"
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
चंचल पाण्डेय "चरित्र"
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