माँ
अवधी छन्द
महतारी पियारु करे हमका,
दिन रात हमें कनिया मा खेलावैं।
नह्वावैं धोवावैं सुबेरे हमें,
अरु लोरी सुनाके हमें बह्लावैं।
जब भूख लगे हमका कबहू,
महतारी हमै भरि पेट खवावैं।
नजराये कही मेरा लाल नहीं,
अंचरा मा छुपाय कै दूध पियावैं।।
रचनाकार
डा0विद्यासागर मिश्र
सीतापुर/लखनऊ
उ0प्र0
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें