एस के कपूर श्री* *हंस।बरेली।*

*कम न हो महक रिश्तों की।*
*मुक्तक।*


रिश्ते चंदन से बने चाहे
टुकड़े    रहे      हज़ार।


महक कम न हो इनकी
ये  भरी   रहे घर द्वार।।


दिल से दिल का लगाव
हो  मन  से   मन    का।


हो दुःख सुख  कैसा भी
दुआयों का रहे अम्बार।।


*रचयिता।एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो 9897071046
    8218685464


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...