एस के कपूर श्री* *हंस।बरेली।

*खामोशी की अपनी एक*
*जुबां होती है।मुक्तक।।।*


खामोशी की  अपनी एक
अलग  तहजीब  होती है।


संस्कारों  की  ही  यह भी
एक   तजवीज़  होती  है।।


बनती एक  तस्वीर  उनकी
हर   दिल   के   आईने  में।


बात उनकी फिर बन जाती
हर दिल  अज़ीज़   होती है।।


*रचयिता।  एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो     9897071046
         8218685464


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...