जय श्री तिवारी खंडवा

होली
तर्ज़-मंदरिया में उड़े रे गुलाल
सब खेला लाल गुलाल, होली नित् आवे रे
प्रेम त्याग का रंग लगाओ
राग द्वेष को दूर भगाओ
हो जाओ खुशहाल, होली नित्---
क्रोध, जलन , ईर्ष्या को जलाओ
अपने मन को पवित्र बनाओ
हो जाओ धनवान, होली नित
मंदिर तीरथ क्यों जाते हो
तन को अपने क्यों थकाते हो
मन को मंदिर बनाओ, होली नित
प्यार का रंग पिचकारी में भर लो
सभी पर प्यार की वर्षा कर दो
रह जाए होली याद, होली नित आवे ये
जय श्री तिवारी खंडवा


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