कवि✍️डॉ. निकुंज दिल्ली

💐🙏सुप्रभातम्🙏💐
स्वारथ  है   ऐसी   बला, व्यर्थ  प्रीति या  नीति।
सब अवसर की ताक में, कल का दुश्मन मीत।।१।।
मीत   टिका  विश्वास पर , कोमलतर आभास।
तनिक  ठेस अन्तःकरण , टूटे   प्रीत  मिठास ।।२।।
तन मन जीवन मीत को ,सुख दुख में हो साथ।
बने  प्रशंसक  परमुखी,  उपदेशक  धर   हाथ।।३।।
कवि✍️डॉ. निकुंज


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