निशा"अतुल्य"

पी सँग खेलूँ होली
5 /3/ 2020


देखो सखी फाग है आया
मन का आँगन खिल गया मेरा
अंग अंग मुस्काया 
अब के होली पी सँग खेलूँ
मन ने ये फरमाया।
सर सर सर सर चले पवन जब
लगे शुभ सन्देशा आया
होल से वो चूमे मुख को 
सुनहरा ख़्वाब सजाया।
हर रंग मुझ को फीका लगे
जब घर साजन ना आया।
देख देख थके नैन मेरे 
मन मेरा अकुलाया
पीपल छाँव भी बैरन लागे
अंग अंग दहकाया।
बैठ राह में बाट निहारूँ
हाय पिया न आया
सौतन बन गई नौकरी उनकी
दूर सजन पहुँचाया।
आ पीछे से छू लिया उसने 
तन मन मेरा महकाया ।
पी के सँग खेलूंगी होली
लौट सजन घर आया 
सखी री लौट सजन घर आया।
अनमोल रत्न मन पाया मैंने
सखी प्रेम रतन धन पाया ।



स्वरचित
निशा"अतुल्य"


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