नूतन लाल साहू

भक्त और भगवान
जितना राधा रोयी रोयी
अपने कान्हा के लिये
कन्हैया उतना रोया रोया
भक्त सुदामा के लिये
भक्त की हालत देखी
उसकी हालत पर रोया
उनके दुख के आगे
अपनी शान शौकत पर रोया
जितना राधा रोयी रोयी
अपने कान्हा के लिये
कन्हैया उतना रोया रोया
भक्त  सुदामा के लिये
पाव के छाला देखे
दुःख के मारे, रोया
पाव धोने के खातिर
खुशी के मारे,रोया
वो आंसू थे भरपाई
रिश्ते निभाने के लिये
जितना राधा रोयी रोयी
अपने कान्हा के लिये
कन्हैया उतना रोया रोया
भक्त सुदामा के लिये
उसके आने पर रोया
उसके जाने पर रोया
हो के गदगद प्रभु
चावल के दाने दाने पर रोया
बनवाली हो के, वो रोया
भक्त सुदामा के लिये
जितना राधा रोयी रोयी
अपने कान्हा के लिये
कन्हैया उतना रोया रोया
भक्त सुदामा के लिये
राधा तू बड़ी भागनी
कौन तपस्या किन्हीं
तीन लोक के मालिक
है तेरे आधीन
भक्त के खातिर
भगवान ने रोया
जितना राधा रोयी रोयी
कन्हैया उतना रोया रोया
भक्त सुदामा के लिये
नूतन लाल साहू


 


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