नूतन लाल साहू

इंतजार
समय के खेल आय
अंधियार मिट जा ही
अंजोर बगर जा ही
सबो दिन एके सही,नइ होय
इंतजार कर इंतजार कर
सरसो के फुल, अामा के मंजरी
लट लट ले, फुल जा ही
डेहरी म बइठे रददा जोहत रह
बर बिहाव, के नेवता आ ही
बने शुभ घड़ी,महुरत मा
बसंत ऋतु,ह आ जाही
सबो दिन एके सही, नइ होय
इंतजार कर इंतजार कर
रतिहा कुलुप,अंधेरी हे
त का होइस संगी
बिहनिया सुरुज आ जा ही
हिम्मत झन हार,भरोसा ल राख़
रोग राई संकट, दुरगत म
जब कोनो नइ रहय,आंछु पोछइया 
तब माता पिता गुरु के आशीष ह
नवा रददा दिखा जा ही
सबो दिन एके सही,नइ होय
इंतजार कर इंतजार कर
घुरुवा के दिन ह, बहुरथे
तोर छितका कुरिया ह
महल अटारी बन जा ही
साधू के भेष म, कतको शैतान हे
सोझ के पुछंता नइये
लबरा के सान हे
पर मौत के अगोरा म अटके
ओखर परान हे
समय के खेल आय
अंधियार मिट जा ही
अंजोर बगर जा ही
सबो दिन एके सही,नइ होय
इंतजार कर इंतजार कर
नूतन लाल साहू


 


 


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