सावधान
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
बासी मुंह गरम पानी
दो तीन गिलास पी लो
मानव जीवन है,अनमोल रतन
सदाचार और संयम से जी लो
पद धन बल,तेरा काम न आयेगा
डाक्टरों का कहना,मानकर जी लो
गरम गरम ताजा ताजा
छत्तीसगढ़ी ब्यंजन खा के जी लो
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
शान शौकत को कुछ दिन भुलाना है
देश को खतरे, से बचाना है
न जाओ,आलीशान होटल
न जाओ,कुछ दिन बार में
घर को बना लो
मंदिर मस्जिद, तुम
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
मुर्गी बकरा,तो
बार बार मिल जायेगा
मानव जीवन को
दोबारा नहीं पायेगा
हम फूल कली है
महफ़िल बगिया के
वीर सपूत सरहद पे अड़ा है
मान मान कहना को, मान
हंसकर जी लो
मुस्कुराकर जी लो
कोरोना वायरस से
सावधान होकर जी लो
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
लेबल
- अवधी संसार
- आशुकवि नीरज अवस्थी जी
- कविता
- कहानी
- काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार
- काव्य रंगोली डिजटल पीडीएफ pdf संसार
- काव्य रंगोली प्रतियोगिताएं
- गज़ल
- ग़जल
- गीत
- ज्योतिष विज्ञान
- दयानन्द त्रिपाठी
- दयानन्द त्रिपाठी दया
- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
- धर्म एवम अध्यात्म
- धर्म एवम आध्यात्म
- पर्व एवं त्योहार
- वीडियो
- समाचार news
- साहित्य संसार
नूतन लाल साहू
Featured Post
गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी के दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें