9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
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हे मैया अम्बे
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हे जग जननी मैया अम्बे , ज्ञान का दीप जलाओ .....
आशीष अभी दे जाओ तुम , घर मेरे तो आ जाओ .....
नाचें - झूमें सारे मिलकर , ढोल - मंजीरे बज रहे .....
रास रचायें मिलकर सारे , बीच सभी के अब आओ ....
मंगलमयी , ममतामयी माँ , जग तारण वाली हो तुम ।
पापियों का करती संहार , शेरांवाली माता तुम ।।
पलकें बिछाये हम खड़े हैं , राह निहारें आ जाओ .....
आशीष अभी दे जाओ तुम , घर मेरे तो आ जाओ .....
प्यारा - सा सिंहासन सजाया , लाल ध्वज द्वार फहराया ।
तेरा पूजन हमको भाया , रूप सजीला है भाया .....
दर्शन देने अब आ जाओ , मैया अम्बे आ जाओ .....
आशीष अभी दे जाओ तुम , घर मेरे तो आ जाओ .....
काटो बेड़ियाँ माँ दुखों की , पीड़ा का अब नाश करो ।
मेरे मन - आँगन में मैया , भक्ति का ही उजास भरो ।।
भोग बनाया मैया हमने , आके अब तो खा जाओ ......
प्यासे हैं दर्शन के मैया , आतुर हैं तुम आ जाओ .....
कोरोना से सब भक्तों पर , अब भीर पड़ी है भारी
करते हैं दूर भगाने को , हम करते हैं तैयारी
द्वारे तेरे सभी खड़े हैं , आज तो प्रकट हो जाओ .....
कष्ट दूर कर सारे मैया , नैया तो पार लगाओ .....
हे जग जननी मैया अम्बे , ज्ञान का दीप जलाओ .....
आशीष अभी दे जाओ तुम , घर मेरे तो आ जाओ .....
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
मुंबई ।
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C++++
31.3.2020.
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