सत्यप्रकाश पाण्डेय

प्रेम के दो शब्द क्या लिखे
सर्वत्र प्रेम उमड़ रहा है
प्रेम की हवा जो वह रही है
प्रेम पीयूष बरस रहा है
प्रेम की शक्ति को पहचाना
प्रेम पुलकित कर रहा है
थी आपस की जो दूरियां
प्रेम उन्हें दूर कर रहा है
प्रेम रूप है ईश्वर का दूजा
आज पहचान हो गई
प्रेम से प्रेम जो टकराया तो
नफरत मजबूर हो गई
बढ़ रहा करवा देखो प्रेम का
जीवन प्रेममय हो गया
खो गया था जो अस्तित्व मेरा
आज कृष्णमय हो गया।


श्रीकृष्णाय नमो नमः🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐💐


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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