सत्यप्रकाश पाण्डेय

आती है होली तो.......


आती है होली तो आने दो
भावों के रंग उड़ाने दो
हृदय में है तस्वीर तुम्हारी
प्यार के रंग भर जाने दो
आती है होली तो........
मेरे ख्वाबों में मेरे भावों में
प्रिय तेरी मूरत बसती है
स्नेहिल प्यारी मूरत पर
गुलाल अबीर उड़ाने दो
आती है होली तो.......
मैं रंग जाऊँ तेरे ही रंग में
बस जाओ तुम अंग अंग में
भूल जाऊँ गम दुनियां के
मुझे कुछ ऐसा कर जाने दो
आती है होली तो.......
स्नेह पूरित गात मनोहर 
भरा हृदय में प्रेम सरोवर
पाल रखी आकांक्षा मन में
मुझे प्रेम नीर में नहाने दो
आती है होली तो.........
बैठा हरिण्यकश्यप मन में
खींच रहा विकृति वन में
तुम बनकर प्रहलाद प्रिय
मुझे धर्म मार्ग पर आने दो
आती है होली तो.........


सत्यप्रकाश पाण्डेय


 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...