जिन्दगी के सफर मे हमेशा, देखते नित नयी हम कहानी।
है लवो पर कभी कुछ शिकायत,है कभी जिन्दगी ये सुहानी।
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जो न मिलता है चाहत मे उसकी, जो मिला है न उसकी कदर है,
इस तरह खोने पाने की धुन मे,खो चुके है बहुत ये जवानी
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प्रेम सच्चा वही है चिरंतन,साथ दे जो निलय से प्रलय मे,
चार पल की मुलाकात को क्या,हम कहे है मुहब्बत रूहानी।
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हम गये जो कहीं बीच महफिल,मिल गया साथ अपनो के ये दिल,
चंद पल की मुलाकात मे हम,छोड आते है अपनी निशानी।
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जन्म इंसान लेता है घर मे,कर्म से नाम होता है जग मे,
सूर तुलसी कबीरा जगत मे,कर्म से बन गये गूढ ज्ञानी।
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दर्द मे भी सदा हंसते रहना,हर मुसीबत को हिम्मत से सहना,
होके मायूस चुप बैठ 'सीमा',तुम गंवाना न यू जिन्दगानी ।
सीमा शुक्ला अयोध्या।
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सीमा शुक्ला अयोध्या।
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