श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार

चलो आज पढे जिंदगी।
आज सभी लोग जिंदगी नही जी पा रहे है।
बहुत अच्छा विषय है जिंदगी,
नेक कर्मो की यह है बंदगी।
जो इसे समझ है गया।
.बडा सवाल हल कर गया।
सुंदर ताजी हवा मे सांस लो।
आकर शांति से विश्राम लो।
थोडी देर आंख बंदकरके।
प्रभू.का भी स्मरण कर लो।
उठो नहाओ, फिर है काम लो।
थोडी थोडी देर आराम हो
ग्यारह ,बारह इस तरह बीते।
तिनिक भी नही दिमाग गरम हो।
अब ना बेटा, और ना बेटी, 
किसी के बारे मे मत हो चिंतित।
एक लक्ष्य बनाकर चलने दो।
संस्कारो से उन्हे भरने दो।
अब माता पिता संग बैठो।
तनिक बाते भी उनसे कर लो।
सास बहु यदि साथ साथ है।
आपस मे ना उन्हे लडने दो।
भागम भाग की यदि है नौकरी।
दूर रखना कोई है छोकरी।
लव भी ना ज्यादा है.करना।
अपने काम से काम है रखना।
आओ अब यहां धन को ले ले।
इसके लिए नही जान है देना।
जितना मिला है, जैसा मिला है।
संतोष बस इसी.मे.है धरना।
व्यर्थ अंह के आगे देखो।
अपना नुकसान मत कर लेना।
आओ शाम को हंसते हुए तुम।
बीबी ,बच्चो के साथ है रहना।
अब कही तुम घुमकर आओ।
ना जा सको तो गरम खाना हे खाओ।
रात देर तक जगना नही है।
बच्चो के पाठ देख कर सो जाना।
ताकि समय पर जल्दी है उठना।
शांत भाव तुम हरदम रखना।
देखो तुम यहां पाने लगोगे।
स्वास्थ.,धन, परिवार हंसेगा।
सबके सब संगी ,साथी बनेगे।
और जीवन ये सफल होगा।
श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...