सुनीता असीम

मुहब्बत की राहों में छाले हुए हैं।
ये दिल मुश्किलों से संभाले हुए हैं।
***
न आए नजर प्यार मेरा सजन को।
कि हम तो यहां दिल निकाले हुए हैं।
***
किया इश्क मैंने न चोरी कोई की।
वो इल्जाम हमपे लगाए हुए हैं।
***
मुझे देखते हैं नज़र टेढ़ी करके।
मेरा अक्स कैसा बनाए हुए हैं।
***
बिगड़ती चली जा रही है हवा भी।
बिना ज्ञान वाले रिसाले हुए हैं।
***
सुनीता असीम
12/3/2020


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