आलोक मित्तल

ग़ज़ल
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बात सभी को है समझानी,
जीवन तो बहता सा पानी !!
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जीवन जितना जीना जी लो
मौत एक दिन निश्चित आनी !
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नही सुधरता इंसां आखिर
कब कम होती बेईमानी ।
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चेहरे का है रंग निखरता,
अच्छी है मिट्टी मुल्तानी।
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जब करता मन जी लेता है,
पागल तो करता मनमानी।
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ज्ञान मिले जितना भी, ले लो
अगर मिले कोई इक ज्ञानी ।। 
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नहीं रुकूँगा बढ़ गए कदम,
मंज़िल पा लूंगा ये ठानी,
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** आलोक मित्तल **


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