कौशल कुमार पाण्डेय "आस"

शोकहर छंद


मल-मल कर धो, कर-मल तज दो,
                 बन जाओ फिर, तुम दानी।
दूरी धर लो , धीरज  कर लो,
                  हर सूरत हो, अनजानी।।
प्रेम बढ़ाओ , हृदय समाओ ,
                  गात बचा रह , हो ठानी।
घर में रहना , सबका कहना ,
                  मत करना प्रिय, मनमानी।।


कौशल कुमार पाण्डेय "आस"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...